हनुमान जी को इस कलयुग का जीवित देवता माना जाता है। और माना जाता है की कहीं भी कोई धार्मिक कार्य होता है या कही भी श्री राम जी की कथा होती वहां कथा सुनने के लिए सबसे पहले हनुमान जी ही पहुंचते हैं। शास्त्रों की माने तो दुनिया में कुछ ही महँ आत्मा हैं जिन्हे चिरंजीवी यानि की अमर होने का आशीर्वाद मिला है जिनमे से एक हनुमान जी भी हैं। और प्रभु हनुमान जी को ऐसे ही जीवित अमर चिरंजीवी देवता नहीं कहा जाता है। ये बात तब की है जब हनुमान जी लंका गए तब मां सीता को उनको देख कर बहुत खुशी हुई। तब माता सीता ने उनसे प्रभु श्री राम जी का समाचार पाकर इतने खुश हुए की उन्होंने हनुमान जी को चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दे दिए।
Some people continue to keep a partial or total quick on possibly of Individuals two times and keep in mind Hanuman plus the theology he signifies to them.[108]
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इस कथा के पीडीऍफ़ में हनुमान जी के जन्म से लेकर जब तक ज्ञात है वह तक का विवरण को बहुत ही सरलता से हिन्दू भाषा में दिया गया है
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनम् तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् । वाष्पवारि परिपूर्णलोचनम् मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ।।
माँ संतोषी का दर्शन
शुक्रवार व्रत का उद्यापन
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The king with the gods, Indra, responds by telling his spouse that the residing being (monkey) that bothers her is always to be seen as an acquaintance, and that they should make an energy to coexist peacefully. The hymn closes with all agreeing that they ought to occur with each other in Indra's household and share the prosperity with the choices. Epics and Puranas
Contrary to the first Model, Hanoman from the wayang has two children. The 1st is named Trigangga that is in the shape of a white ape like himself. It is claimed that when he came residence from burning Alengka, Hanoman had the Shri Hanuman Katha image of Trijata's encounter, Wibisana's daughter, who took care of Sita. Above the ocean, Hanuman's semen fell and brought about the seawater to boil.
तब इंद्रदेव ने हनुमान जी को समझाया की मारुती कृपया आप जिद छोड़ दे और सूर्य देवता को अपने मुख से आजाद अरे लेकिन हनुमान जी नहीं मने। सभी देवताओं ने लाख कोशिश की लेकिन फिर भी मारुती नहीं मने । अंत में इंद्रा देव बहुत क्रोधित हो गए । और गुस्से में आ कर उन्होंने अपने बाजरा से हनुमान जी पर प्रहार कर दिए। जिससे हनुमान जी मूर्क्षित हो गए और तब जा के भगवान हनुमान जी के मुख से आजाद हुए।
वीरों के वीर उस महावीर की गाथा गाते हैं
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